Navprabhat by Maniprabh

जब मन एक नए पुष्प की भाँती खिला हो, तो रात के अँधेरे में भी नवप्रभात का आगमन होता है। जब मैं एकांत का अनुभव करता हूँ तो भावों के प्रवाह की शब्दों से प्रस्तुति हो जाती हैं... --उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म. सा.

सोमवार, 29 सितंबर 2014

जब मन एक नए पुष्प की भाँती खिला हो, तो रात के अँधेरे में भी नवप्रभात का आगमन होता है। जब मैं एकांत का अनुभव करता हूँ तो भावों के प्रवाह की शब्दों से प्रस्तुति हो जाती हैं... --उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म. सा.


Maniprabh. JAHAJMANDIR पर 8:50 am
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बुधवार, 3 सितंबर 2014

NAVPRABHAT-मैं दूसरों को क्षमा करता हूँ, इसलिये नहीं कि वे क्षमा के हकदार हैं। बल्कि इसलिये कि मैं शांति का हकदार हूँ! मैं दूसरों से क्षमा मांगता हूँ, इसलिये नहीं कि मैंने गल्तियाँ की हैं, बल्कि इसलिये कि मैं शांति का पक्षधर हूँ।

NAVPRABHAT

Maniprabh. JAHAJMANDIR पर 10:52 pm
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